है आज फ़िर उसका इंतजार,
जिसने दिखये थे ख्वॉब मुझे,
आज फ़िर उसका है इंतजार,
जिसने साथ रहेनेके किये थे वादे.
शायद जुदा होने के लिये हि
मिलते है लोग,
जुद होके क्या कभी
मिलते है लोग
दो दिन कि वो मुलकत थी,
सालो कि पहेचान लगती थी,
इस दिल कि सारी बाते मैने उससे कही थी,
अंधेरे जीवन मे,
रोशनी सी दिखाई दे रही थी,
खुशिंयोसे सारी फ़िजा महेक रही थी.
अचानक एक दिन
वो कहि खो गया,
तुमसे नही मिलेंगे कभी,
न जाने ऐसा क्यों कहे गया
शायद जुदा होने के लिये हि
मिलते है लोग,
जुद होके क्या कभी
मिलते है लोग
आंखो से दुर आज कल वो होता नही,
उसकी बाते दिल से दुर जाती नही,
मिले हमसे वो इक बार,
यहि बात दिल मे है,
बस इसलिये,
है आज फ़िर उसका इंतजार
- मदन
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